Karwa Chauth Puja Vidhi & Samagri List in Hindi – करवा चौथ पूजा की सामग्री लिस्ट पीडीएफ

Karwa Chauth Puja Vidhi & Samagri List PDF in Hindi download link is now available on the below table. आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से करवा चौथ पूजा विधि का पीडीएफ आसानी से डाउनलोड करने का लिंक प्रदान कर रहे हैं। पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने में पूर्णिमा के चौथ दिन करवा चौथ वाला त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 में 13 व 14 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत पड़ रहा है। इस दिन सुहागिन महिला अपने पति की लंबी लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। तथा श्याम को करवा चौथ कथा की कहानी पढ़कर महिलाएं शाम के समय चंद्रमा निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने पति का तिलक आदि करने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।

इस व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्व है। नीचे खंड में हम आपको करवा चौथ पूजा विधि व पूजा की सामग्री लिस्ट का पीडीएफ प्रदान कर रहे हैं। साथ ही Ahoi Mata Aarti & Puja Vidhi PDF का डायरेक्ट लिंक भी दे रहे हैं। कृपया आगे पढ़ना जारी रखें।

Contents

करवा चौथ पूजा विधि और सामग्री लिस्ट 2022 PDF

आपको बता दें कि करवा चौथ भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं तथा पूजन करती हैं। Karva Chauth Vrat (Puja Vidhi) के नियम अलग-अलग स्थानों के अनुसार अलग-2 हो सकते हैं। बहुत सी जगह पर इस व्रत को निर्जला किया जाता है, मतलब कि व्रत के दौरान पानी नहीं पिया जाता। लेकिन बहुत से क्षेत्रों में इस व्रत के दौरान पानी व चाय आदि पी लिया जाता है। इसलिए आप अपने क्षेत्र के अनुसार व्रत का पालन कर सकते हैं।

इस व्रत में Karwa Chauth Puja Vidhi (Poojan Samagri) का बहुत अधिक महत्व होता है। व्रत की सफलता के लिए इस व्रत कथा को पढ़ना व सुनना दोनों ही आवश्यक है तथा इस व्रत कथा के द्वारा ही हमें इस व्रत के महत्व के बारे में पता चलता है। इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और स्कन्द यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की सभी उपचारों के साथ पूजा की जाती है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से जीवन में पति का साथ हमेशा बना रहता है। साथ ही, सौभाग्य की प्राप्ति और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

Download Karwa Chauth Puja Vidhi & Samagri PDF in Hindi

Karwa Chauth Puja ki Samagri PDF In Hindi – Overview

करवा चौथ व्रत पूजा विधि व पूजन की सामग्री लिस्ट

हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक महीने में पूर्णिमा के चौथ दिन करवा चौथ वाला त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन श्याम को करवा चौथ कथा की कहानी पढ़ते कर शाम के समय चंद्रमा निकलने के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और पति का तिलक आदि करने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।

इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और स्कन्द यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की सभी उपचारों के साथ पूजा की जाती है। कहते हैं कि Karva Chauth Vrat Katha करने से जीवन में पति का साथ हमेशा बना रहता है। साथ ही, सौभाग्य की प्राप्ति और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

Karwa Chauth Puja Vidhi and Samagri | अहोई माता करवा चौथ पूजा विधि

  1. करवा चौथ पूजा करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ कर लें और लकड़ी की चौकी बिछाकर उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की तस्वीर या चित्र रखें। साथ ही, उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित कर उसमें  थोड़े-से अक्षत डालें।
  2. इसके पश्चात कलश पर रोली, अक्षत का टीका लगाएं और गर्दन पर मौली बांधें।
  3. तीन जगह चार पूड़ी और 4 लड्डू लें, अब एक हिस्से को कलश के ऊपर, दूसरे को मिट्टी या चीनी के करवे पर और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्ले में बांध कर रख लें। अब करवाचौथ माता के सामने घी का दीपक जलाकर कथा पढ़ें।
  4. पूजा करने के बाद, साड़ी के पल्ले और करवे पर रखे प्रसाद को बेटे या अपने पति को खिला दें। वहीं, कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें।
  5. पानी से भरे हुए कलश को पूजा स्थल पर ही रहने दें। चन्द्रोदय के समय इसी कलश के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग चंद्रमा को लगाएं। इसके बाद. पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।

करवा चौथ 2022 का शुभ मुहूर्त – Shubh Muhurat of Karwachauth

  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ => गुरुवार, सुबह 01 बजकर 59 मिनट पर (13 अक्टूबर 2022)
  • चतुर्थी तिथि समाप्त => शुक्रवार, सुबह  03 बजकर 08 मिनट पर (14 अक्टूबर 2022)
  • चंद्रोदय का समय => रात 8 बजकर 26 मिनट पर
  • करवा चौथ पूजा मुहूर्त => 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक

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करवा चौथ का उजमन (Karwa Chauth Samagri List)

  1. एक थाल में चार-चार पूड़ियाँ तेरह जगह रखकर उनके ऊपर थोड़ा-थोड़ा हलवा रख दें।
  2. थाल में एक साड़ी, ब्लाउज और सामर्थ्यानुसार रुपये भी रखें।
  3. फिर उसके चारों ओर रोली-चावल से हाथ फेरकर अपनी सासूजी के चरण स्पर्श कर उन्हें दे दें।
  4. तदुपरांत तेरह ब्राह्मण/ब्राह्मणियों को आदर सहित भोजन कराएं, दक्षिणा दें तथा रोली की विन्दी/ तिलक लगाकर उन्हें विदा करें।
  5. अधिक जानकारी के लिए ऊपर दिए गए लिंक का उपयोग करके Karvachauth Vrat Puja Vidhi PDF प्रारूप में डाउनलोड करें।

करवा चौथ पूजा की सामग्री लिस्ट का हिन्दू धर्म में महत्व

जैसे की आपको विदित होगा कि करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान का पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब ४ बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है।

ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है।

वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं।

नोट – यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें।

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