Ahoi Ashtami Calendar 2024 PDF in Hindi download link is available on this page. यहाँ हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अहोई अष्टमी कैलेंडर (पंचांग) २०२४ का पीडीएफ प्रारूप प्रदान कर रहे हैं। जिसकी मदद से आप आसानी से Shree Ahoi Asthmi Calendar 2024 pdf फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं। करवा चौथ और अहोई अष्टमी का व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व होता है। जहां एक तरफ करवा चौथ का व्रत सुहागन अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती है, वहीं अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए रखती हैं। देश के कई हिस्से में इस व्रत को Hoi Ka Vrat या chakri fast 2024 के नाम से जाना जाता है। मुख्यतौर पर अहोई अष्टमी का व्रत उत्तर भारत के राज्यों में रखा जाता है। कृपया आगे पढ़ना जारी रखें।
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अहोई अष्टमी कैलेंडर 2024 PDF Download in Hindi
Ahoi Ashtami Calendar 2024 PDF डाउनलोड लिंक नीचे खंड में देखें। अहोई अष्टमी का व्रत प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की कृष्णा पक्ष को सूर्योदय से लेकर रात में 06:03 तक रखा जाता है। इस पर्व में भी चन्द्रोदय व्यापिनी अष्टमी का ही विशेष महत्त्व है। अतः अष्टमी तिथि में चन्द्रोदय रात में 11:29 बजे होगा। इन दिन सास के चरणों को तीर्थ मानकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। वहीं कुछ जगह सास को बायना भी दिया जाता है।
अहोई अष्टमी व्रत को लेकर मान्यता है कि नियमों का पालन किए बिना यह व्रत पूरा नहीं हता है। इसलिए अहोई अष्टमी व्रत नियम का जानना और उनका पालन करना जरूरी होता है। यह व्रत प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
Ahoi Ashtami Calendar 2024 PDF – Highlights
Name of PDF | अहोई अष्टमी कैलेंडर २०२४ पीडीऍफ़ |
Year | 2024 |
Language | Hindi |
Number of pages | 01 |
PDF Size | 1.15 MB |
Post-Category | General | PDF Link |
Source Website | www.readermaster.com |
Download Links | Ahoi Ashtami Calendar 2024 PDF in Hindi |
अहोई माता पूजा विधि, व्रत कथा पीडीएफ | |
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Karva Chauth and Ahoi Ashtami Calendar 2024
अहोई अष्टमी व्रत के नियम
- अहोई अष्टमी व्रत में तांबे के लोटे से अर्घ्य नहीं दिया जाता है। इस दिन तांबे के लोटे को अशुद्ध मानते हैं। कहते हैं कि अगर कोई व्रती महिला तांबे के लोटे से अर्घ्य देती है तो उसके व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
- इस दिन तारों को अर्घ्य दिया जाता है। कहते हैं कि जिस तरह से करवा चौथ में चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्रत पूर्ण होता है, उसी तरह अहोई अष्टमी में तारों को अर्घ्य देकर ही व्रत पूर्ण मानते हैं।
- यह व्रत निर्जला रखा जाता है। कहते हैं कि जो महिला निर्जला अहोई अष्टमी व्रत करती है, उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- अहोई अष्टमी के व्रत में नया करवा नहीं लिया जाता है। कहते हैं कि इस व्रत में करवा चौथ के करवे का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
- यह व्रत संतान की खुशहाली के लिए रखा जाता है। कहा जाता है कि अहोई अष्टमी के दिन बच्चों को न ही मारें और ना ही उन्हें अपशब्द बोलें।
- कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत रखने वाली महिला को दिन में नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से पूजा-पाठ का फल नष्ट हो जाता है।
- मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन घर में पोंछा नहीं लगाना चाहिए।
श्री अहोई अष्टमी व्रत कथा क्या है?
पुराने समय में एक शहर में एक साहूकार के 7 लड़के रहते थे। साहूकार की पत्नी दिवाली पर घर लीपने के लिए अष्टमी के दिन मिट्टी लेने गई। जैसे ही मिट्टी खोदने के लिए उसने कुदाल चलाई वह सेह की मांद में जा लगी। जिससे कि सेह का बच्चा मर गया। साहूकार की पत्नी को इसे लेकर काफी पश्चाताप हुआ। इसके कुछ दिन बाद ही उसके एक बेटे की मौत हो गई। इसके पश्चात, एक-एक करके उसके सातों बेटों की मौत हो गई। इस कारण साहूकार की पत्नी शोक में रहने लगी। एक दिन साहूकार की पत्नी ने अपनी पड़ोसी औरतों को रोते हुए अपना दुख की पूरी कथा सुनाई।
जिस पर औरतों ने उसे सलाह दी कि यह बात साझा करने से तुम्हारा आधा पाप कट गया है। अब तुम अष्टमी के दिन सेह और उसके बच्चों का चत्रि बनाकर मां भगवती की पूजा करो और क्षमा याचना करो। भगवान की कृपा हुई तो तुम्हारे पाप नष्ट हो जाएंगे। ऐसा सुनकर साहूकार की पत्नी हर साल कार्तिक मास की अष्टमी को मां अहोई की पूजा व व्रत करने लगी। माता रानी कृपा से साहूकार की पत्नी फिर से गर्भवती हो गई और उसके कई साल बाद उसके फिर से सात बेटे हुए। तभी से अहोई अष्टमी का व्रत चला आ रहा है। Ahoi Ashtami Vrat Katha 2024 PDF डाउनलोड करने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें।