प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना 2023 की जानकारी हिंदी में देखिए

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PM Van Dhan Vikas Yojana 2023: नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको इस लेख के माध्यम से “प्रधानमंत्री वन धन विकास योजना” की जानकारी देंगे। केंद्र सरकार ने वन-धन विकास योजना को वित्त वर्ष 2018-19 में शुरू किया था। जिसको अब आगे बढ़ा कर वर्ष 2023 में 3,000 वन धन केंद्रों की स्थापना करने जा रही है। इस सरकारी योजना को स्‍वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को संविधान के निर्माता श्री बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के जन्‍मदिवस पर लॉन्च किया था। जिसमें अब विस्तार करके मोदी सरकार वन धन केंद्र स्थापित करने जा रही है।

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Pradhan Mantri Van Dhan Yojana 2023

केन्द्रों का निर्माण करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय पूरे देश में 30,000 स्वयं सहायता समूह (SHGs) स्थापित करेगा। जिसका मुख्य फोकस वन संपदा (गैर-लकड़ी उत्पादन) का विकास करना होगा और देश में लकड़ी के उत्पादों को बनाने के लिए पेड़ों को काटने पर प्रतिबंध लगाने का काम करेगी। इसके साथ ही वनों का विकास करना भी मुख्य लक्ष्य होगा।

वन धन मिशन गैर-लकड़ी के वन उत्पादन का उपयोग करके जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए आजीविका के साधन उत्पन्न करने की पहल है। जंगलों से प्राप्त होने वाली संपदा, जो कि वन धन है, का कुल मूल्य दो लाख करोड़ प्रतिवर्ष है। वन धन विकास योजना के पहले चरण में सरकार 115 आकांक्षात्मक जिलों में काम शुरू करेगी और बाद में इसे सभी जनजातीय क्षेत्रों में लागू किया जाएगा। वन धन योजना, जन धन योजना और गोबर धन योजना मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक हैं। PM Van Dhan Vikas Yojana (Van Dhan Kendras) की अधिक जानकारी के लिए पूरा आर्टिकल अंत तक ध्यान से पढ़ें।

प्रधामंत्री वन धन विकास योजना की मुख्य विशेषताएँ-

Key features of Prime Minister Van Dhan Vikas Yojana – वन धन केंद्र जनजातीय क्षेत्र के लोगों के लिए उनकी आय को बढ़ाने के उद्देश्य से कार्य करेंगे, जिनकी कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • आरंभ में इन केन्द्रों में टेमारिंड ईंट निर्माण, महुआ फूल भंडारण केंद्र तथा चिरौंजी को साफ करने एवं पैकेजिंग के लिये प्रसंस्करण सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
  • ट्राइफेड (Tribal Cooperative Marketing Development Federation of India) ने छत्तसीगढ़ के बीजापुर ज़िले में इस प्रायोगिक विकास केंद्र की स्थापना का कार्य सीजीएमएफपी फेडरेशन को सौंपा है तथा बीजापुर के कलेक्टर इनके बीच समन्वय ठीक से बना रहे इसका कार्य करेंगे।
  • जनजातीय लाभार्थियों के चयन एवं स्वयं सहायता समूह (SHG) के निर्माण का कार्य टीआरआईएफईडी द्वारा आरंभ कर दिया गया है। 10 अप्रैल, 2018 से इसका प्रशिक्षण आरंभ होने का अनुमान है।
  • आरंभ में वन धन विकास केंद्र की स्थापना एक पंचायत भवन में की जा रही है जिससे कि प्राथमिक प्रक्रिया की शुरुआत एसएचजी द्वारा की जा सके। इसके अपने भवन के पूर्ण होने के बाद केंद्र उसमें स्थानांतरित हो जाएगा।
  • वन धन विकास केंद्र एमएफपी के संग्रह में शामिल जनजातियों के आर्थिक विकास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर सिद्ध होगा। जो उन्हें प्राकृतिक संसाधनों का ईष्टतम उपयोग करने और एमएफपी समृद्ध ज़िलों में टिकाऊ एमएफपी आधारित आजीविका उपयोग करने में उनकी सहायता करेंगे।
  • गौण वन उपज (MFP) वन क्षेत्र में रहने वाले जनजातियों के लिये आजीविका के प्रमुख स्रोत हैं। समाज के इस वर्ग के लिये एमएफपी के महत्त्व का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है क्यूंकि वन में रहने वाले लगभग 100 मिलियन लोग भोजन, आश्रय, औषधि एवं नकदी आय के लिये एमएफपी पर निर्भर करते हैं।

केंद्र सरकार द्वारा वन धन विकास केंद्र की स्थापना-

Establishment of Van Dhan Vikas Kendra by Central Govt – देशभर के वन क्षेत्रों के जनजातीय ज़िलों में दो वर्ष में लगभग 3,000 वन धन केंद्र स्‍थापित किए जाएंगे। 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी वाले 39 ज़िलों में प्राथमिकता के आधार पर यह पहल शुरू करने का प्रस्‍ताव पहले ही शुरू किया जा चुका है। इसके बाद, योजना का विस्तार देश के अन्‍य जनजा‍तीय ज़िलों में किया जाएगा। इसके साथ यह भी प्रस्‍ताव किया गया कि एसएचजी के प्रतिनिधियों से गठित प्रबंधन समिति स्‍थानीय स्‍तर पर केंद्रों का प्रबंधन करेगी।

वन धन विकास योजना (Van Dhan Vikas Yojana) केन्‍द्रीय स्‍तर पर महत्त्‍वपूर्ण विभाग के तौर पर जनजातीय कार्य मंत्रालय और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर महत्त्वपूर्ण एजेंसी के रूप में ट्राइफेड के माध्‍यम से लागू की जाएगी। योजना के कार्यान्‍वयन में राज्‍य स्‍तर पर एमएफपी के लिये राज्‍य नोडल एजेंसी और ज़मीनी स्‍तर पर ज़िलाधीश महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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वन धन विकास केंद्र योजना का उद्देश्य-

Objective of Van Dhan Vikas Kendra Yojana/Scheme – वन धन केन्द्रों के कुछ मुख्य उद्देश्य निम्न्लिखित हैं जो जनजातीय समुदाय के लोगों के लिए जमीनी स्तर से आर्थिक स्तर पर काम करेंगे:

  1. इस पहल का उद्देश्‍य प्राथमिक स्‍तर पर एमएफपी में मूल्‍य वृद्धि कर ज़मीनी स्‍तर पर जनजातीय समुदाय को व्‍यवस्थित करना है।
  2. इसके तहत जनजातीय समुदाय के वनोत्‍पाद एकत्रित करने वालों और कारीगरों की आजीविका आधारित विकास को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।
  3. इस पहल के ज़रिये गैर लकड़ी वन उत्पाद की मूल्‍य श्रृंखला में जनजातीय लोगों की भागीदारी वर्तमान में 20 प्रतिशत है जिसे बढ़ाकर लगभग 60 प्रतिशत करने की उम्‍मीद है।
  4. एमएफपी या अधिक उपयुक्त के रूप में उल्लिखित गैरलकड़ी वनोत्पाद (एनटीएफपी) देश के लगभग 5 करोड़ जनजातीय लोगों की आय और आजीविका का प्राथमिक स्रोत है।
  5. गौरतलब है कि देश में अधिकतर जनजातीय ज़िले वन क्षेत्रों में हैं। जनजातीय समुदाय पारंपरिक प्रक्रियाओं से एनटीएफपी एकत्रित करने और उनके मूल्यवर्धन में पारंगत होते हैं।
  6. यही कारण है कि स्थानीय कौशल और संसाधनों पर आधारित जनजातीय लोगों के विकास का यह आदर्श मॉडल केंद्रित होगा।

इस योजना को लागू करने के पीछे भारत सरकार व जनजातीय मंत्रालय आदिवासी लोगों की आय में वृद्धि करना चाहता है। क्योकि आदिवासी समाज आधुनिक क्षेत्र से कटे हुए होते हैं तो उनके पास वनों के उत्पादों से होने वाली आय के अलावा कोई अन्य साधन नहीं होता। जनजातीय कार्य मंत्रालय देश के आदिवासी समुदाय की दशा और दिशा को हर हाल में सुधारने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इसी बात को ध्‍यान में रखते हुए वन धन विकास केंद्रों का निर्माण शुरू किया गया है।

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PM-VDY वन धन विकास योजना का क्रियान्वयन-

Implementation of Van Dhan Vikas Yojana – वन धन विकास योजना कवर कर रहे हैं उन सभी राज्यों में अनुसूची क्षेत्र और अनुसूची आदिवासी हैं जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव, लक्षद्वीप और पुदुचेरी।

Latest Update – प्रधानमंत्री वन धन योजना जनजातीय श्रमिकों के लिए बनी मददगार। देखिए लॉकडाउन के दौरान इस योजना से जनजातीय श्रमिकों को मिला रोजगार और मुश्किल वक्त में भी निरंतर हुई कमाई। PIB India

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